Sard Hawaayein | Hindi Poetry
जब
इश्क़ की ये सर्द हवाएँ चलती है,
तेरी
यादों की गर्मी से दिल पे जमी ये बर्फ पिघलती है,
बचता
फिरता हूँ इन तन्हाई के बादलों से मैं,
मगर
हर लम्हा तेरी याद मुझपे बूँद-बूँद गिरती है ♥♥
ढूँढता
रहता है दिल किनारा हर कहीं,
दरिया-ए-इश्क़
में जो कश्ती है अब संभाले ना संभलती है,
बढ़ते
रहते है कदम उन राहों पे हर रोज़,
वो
जो राहें तेरे दिल तक पहुँचती है ♥♥
हसरत
है कि मैं बन जाऊं एक सांस वो,
वो
जो सांस तेरी रूह से गुजरती है,
कभी
मुस्कुराता हूँ तो कभी बेचैन रहता हूँ,
मुझमें हर रोज़ तेरी कोई याद जलती है ♥♥
जी
भी लेता हूँ और मर भी जाता हूँ,
जब
ख़्वाब में तेरी मुस्कुराहटें बिखरती है,
तेरी
यादों का समंदर लिये बैठा हूँ,
जैसे
कोई नदी मुझसे मिलने को ही निकलती है ♥♥
कदम
चले या ना चले मंज़िल की ओर,
मगर
तेरी याद हर सांस के साथ चलती है,
छूँ
भी लेता हूँ तुझे पा भी लेता हूँ,
जब
तेरी खुशबूं मेरी बाहों में सिमटती है ♥♥
कहीं
मर ना जाये वो इंतज़ार में बेवजह,
वो
जो उम्मीद हर रोज़ तेरी चौखट पर बैठा करती है,
काश
बन जाऊं मैं एक ख़्वाहिश वो,
जिसे
पाने को तेरी रूह एक उम्र तरसती है,
जब
इश्क़ की ये सर्द हवाएँ चलती है,
जो
तुझसे शुरू होकर मुझमें मिलती है ♥♥
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