वो बेख़बर है मेरी मौजूदगी से भी , शायद उसे इश्क़ में कोई मलाल नहीं , सारे जवाब उसने ख़ुद ही सोच लिए , उसके होंठों पे अब कोई सवाल नहीं , आँखों में काज़ल भी है और पलकें झुकी भी है मगर उसकी नज़र में अब वो कमाल नहीं , दिल पिघलता ही नहीं उसकी अदाओं से अब , उसकी साँसों में अब वो उबाल नहीं , मैं हूँ कि उसकी कहानियाँ लिए बैठा हूँ , उसके जहन में तो मेरा एक ख्याल भी नहीं |