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उसे किसी की दुल्हन होते देखना है मुझे | Urdu Hindi Ghazal | M S Mahawar

रब्त क्या है परिंदों से पूछो | M S Mahawar

  चश्म-ए-दिल में  जब  अश्क  मेरे  मिले जाँ   सभी   में    ही   अक्स  तेरे  मिले बज़्म    में    दूर    से   चमक   रहे  जो दिल   में   उनके    मुझे    अँधेरे   मिले दर्द   का   ज़िक्र   था   जहाँ   जहाँ   पे उस    वरक़    पे   निशान    मेरे    मिले रब्त     क्या    है    परिंदों    से    पूछो पेड़       सूखे      मगर     बसेरे    मिले छोड़   आया   हूँ   दिल   मिरा   घर   पर हर    तरफ़    ही     मुझे    लुटेरे   मिले दर्द-ए-तन्हाई    से    मरा    है     कोई लोग   दिन   रात  उस   को  घेरे   मिले ये     ख़ज़ाना     मिला    मुहब्बत    में तेरे    ख़त    कमरें    में    बिखेरे   मिले चाहकर   भी   निकल   सके   न  कोई साए   ज़ुल्फ़ों   के    जब    घनेरे  मिले हो   परेशान   निकले   जब    घर   से राह     तन्हाइयों     के     डेरे     मिले साथ     मेरे    ये     रात     रहने     दो मिलना   हो   गर   जिसे    सवेरे   मिले

क़ाफ़िला | M S Mahawar

क़ाफ़िला साथ में था मेरे मगर उम्र  भर रस्ते पे अकेला चला

अपने भी घर

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  जो   कभी   भी   नहीं   हुआ  हासिल उस   को  खोने  का  डर  नहीं  जाता   तेरे   घर   के   लिए  जो   भी  निकला अब  वो  अपने   भी   घर  नहीं  जाता

मय-कदा

जाओ  जहाँ  कहीं  भी  जहाँ  तुम  को  जाना  है ये   मय-कदा   ही   दोस्त    हमारा   ठिकाना  है

नए इल्ज़ाम

  जवाब आए पुराने ही ज़बाँ पे नए इल्ज़ाम आते जा रहे हैं

इक ख़्वाब तेरा | Urdu Ghazal | Poetry | Shayari

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इक   ख़्वाब   तेरा     खो   गया   कल   आँख   में   मिरी हो     गर     अँधेरा       ढूँढने     निकलूँ     कहीं     उसे  

वस्ल के दिन | Ghazal | Urdu Shayari | Hindi Love | M S Mahawar

  उसकी   आँखों   में   कोई   ख़्वाब   नहीं क्या   पियाले   में     ही   शराब   नहीं   फूल   तो   और   भी   हैं   लेकिन   दोस्त उसके   जैसा     कोई     गुलाब     नहीं   हाल     सूखे       दरख़्त     से     पूछो अपना     साया   भी     दस्तियाब   नहीं   पहले   बोसे   में     इश्क़   फीका   लगा हाँ   आख़िरी   का     कोई   जवाब   नहीं   हिज्र   की   आग   से     बचा   न   कोई अश्क़   ही   अश्क़   है     बस   आब   नहीं   वस्ल   के   दिन   गिने   हैं     उंगली   पर हिज्र     का     कोई     भी   हिसाब   नहीं   तू     नहीं       याद     भी     नहीं       तेरी दश्त-ए-दिल   में       कोई     सराब   नहीं   देख   जिसको     हो   जाते   थे     पागल सामने     है     अब       इज़्तिराब     नहीं   है     अदब       जानना     तबीअत   भी हाल     पूछा     है       बाज़याब     नहीं

मुहब्बत के नुक़साँ | Ghazal | M S Mahawar

बड़ा   ही   जो   तुम   मुस्कुराने   लगी   हो है कुछ बात   जो तुम   छिपाने   लगी हो   इरादा   है   क्या   दूर   जाने   का   मुझसे ज़ियादा   ही   तुम   पास   आने   लगी   हो   बड़ी   ही   मशक्कत   से   आँसू   ये निकले यहाँ   तुम   मुझे   चुप   कराने   लगी   हो   अभी तो   नज़र भर ही   देखा   तुम्हें और मुहब्बत   के   नुक़साँ   बताने   लगी   हो   निकलती   नहीं   थी   कभी   घर   से   बाहर गली   में   मिरी   आने   जाने     लगी   हो   थी उम्मीद   तुम   से   निगह-दारी   की   आज नज़र   मुझसे   ही   तुम   चुराने   लगी   हो   तिरा     रोकना     टोकना     क़समें   दे   कर मुहब्बत     मिरी     आज़माने     लगी     हो   हुआ   वस्ल   में   जान   कुछ भी   न   तुमसे अभी   हिज्र   के   दिन   गिनाने   लगी   हो

ख़ुद कफ़ील | Urdu Sher Shayari

  बहुत नहीं लगे दिन ख़ुद कफ़ील होने में मदद ले कर ना मुनासिब ज़लील होने में   ख़ुद कफ़ील - आत्मनिर्भर  

हसीन झुमकों | Love Romantic Shayari in Hindi

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इन   ख़्वाहिशों   से     तेरी   मुझे   प्यार   करना   है ऐसे     हसीन     झुमकों     का     व्यापार   करना   है  

शाएरी के साथ | Ghazal in Hindi | Hindi Poetry | M S Mahawar

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उस दश्त का जो राब्ता है तिश्नगी के साथ तू ख़ुश रहे दुआ है मगर इक कमी के साथ   तुझ से बिछड़ के हम मरे तो जाँ नहीं मगर फ़िर कर लिए ये फासले और ज़िंदगी के साथ   ढूँढ अब शजर पहाड़ परिन्दें हवा कहीं उकता गया है आदमी अब आदमी के साथ   वो सिलसिला अजीब था तन्हाई का मिरी सबके रहे क़रीब मगर दुश्मनी के साथ   प्यार से सुनाना कोई कड़वी बात भी मुझको खिलाते थे वो नमक चाशनी के साथ   हर बात के लिए तू मना लेता है मुझे है मसअला यही तिरी इस दोस्ती के साथ   रोना न धोना झगड़ा न कोई शिकायतें वो रिश्ता तोड़ भी गया तो सादगी के साथ   सब सोचते रहे कि मोहब्बत ही छोड़ दी पकड़ा गया वो कृष्ण उसी बाँसुरी के साथ   गुज़रा जो कोई अपने भी घर फ़िर नहीं गया है कौनसा ये रिश्ता तिरी उस गली के साथ   एक एक याद तेरी पिघलती है बर्फ़ सी क्या ही मज़ा शराब का है तीरगी के साथ   उठकर चला गया वो कहीं और बज़्म से अच्छा नहीं हुआ ये मिरी शाएरी के साथ

ज़ुल्फ़-ए-जानाँ | Romantic Hindi Love Shayari

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शौक़     हो     टकराने   का     तूफ़ाँ   से ज़ुल्फ़-ए-जानाँ     सँवार   कर     देखें

दश्त में प्यास | pyar ki shayari

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इक   नज़र   आर - पार   कर   देखें रूह   को   जिस्म   उतार   कर   देखें कौन   सुनता   है   ख़ामुशी की   सदा आँखों   से   भी     पुकार   कर   देखें खेल ये   सीधी नज़रों का   नहीं दोस्त क्यूँ   न आँख   एक   मार   कर   देखें प्यार   अगर   दे   मज़ा   उदासी   का क्यूँ   न   हम   दिल ये   हार कर   देखें हिज्र   के   बाद   एक   और   ये   हिज्र दश्त   में     प्यास     मार     कर   देखें आँसुओं   में   छुपा   हो   राज़   कोई कौन   वो   दरिया   पार   कर   देखें है   कोई   और   अक्स   आइने   में धूल   थोड़ी   उतार       कर     देखें हो   अकेला   उदास     सच भी कहीं दुनिया   को   दरकिनार   कर   देखें हर   शजर   को   गले   लगाते   चल अक्स-ए-ख़ुशबू-ए-यार   कर   देखें हो   कोई   हाल     क़ैस   जैसा   फ़िर दिल की बात   आश्कार   कर   देखें

दरिया | Urdu Ghazal Sad

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उम्र     भर     दरिया   के     जो   पास   रहे प्यास       उनके     लिए       तमाशा     है

उदासी | Hindi Sad Love Shayari

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प्यार     अगर     दे     मज़ा     उदासी     का क्यूँ   न   हम     दिल   ये     हार   कर     देखें     Keyword Tags :- jagjit singh, shayari photo, jaun elia, pankaj udhas, ahmad faraz, pyar bhari shayari, parveen shakir, allama iqbal poetry, hindi gazal, sad shayari image, odia shayari

ख़ामुशी की सदा | Sad Love Shayari Image

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कौन   सुनता   है     ख़ामुशी     की   सदा आँखों     से     भी     पुकार     कर     देखें

इक नज़र | hindi shayari collection

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इक   नज़र     आर - पार     कर   देखें रूह   को     जिस्म   उतार   कर   देखें Keyword Tags : - motivational shayari in hindi, love shayari photo, best love shayari, mirza ghalib shayari, hindi shayari collection, jaun elia poetry

वस्ल के दिन । best love shayari

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वस्ल   के   दिन    गिने   हैं     उंगली   पर हिज्र   का     कोई     भी     हिसाब   नहीं * वस्ल - मिलन * हिज्र - जुदाई Keyword Tags :- inspirational poems, hindi me shayari, hindi shayari love sad, ghulam ali ghazal, ghalib poetry

इज़्तिराब नहीं | love shayari photo | romantic shayari in hindi

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देख जिसको हो जाते थे पागल सामने है अब इज़्तिराब नहीं * इज़्तिराब - बेचैनी , व्याकुलता Keyword Tags : urdu ghazal, inspirational poems, hindi me shayari, hindi shayari love sad, ghulam ali ghazal, ghalib poetry

दश्त-ए-दिल | सराब | love shayari image

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तू नहीं याद भी नहीं तेरी दश्त-ए-दिल में कोई सराब नहीं * दश्त - Forest, Desret * सराब - illusion Keyword Tags :   Shayari, ghazal, poetry, nazm, love shayari, sad shayari