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जनवरी, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

वस्ल | रोमांटिक शायरी

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इक उम्र गुज़री है हिज़्र में अब वस्ल का स्वाद चखना है , तेरे गाल पे जो तिल है उसे होंठों से उठाकर तेरे काँधे पे रखना है ।

दरख़्त-ए-ज़िंदगी | Rekhta Shayari

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दरख़्त-ए-ज़िंदगी से इक और पत्ता टूट कर गिर गया , साल ऐसे गुज़रा जैसे कोई मेहमाँ आकर वापस अपने घर गया ।

जुबां | Rekhta

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जो बात जुबां से कहनी थी वो इशारों में कह गई , मिरे हिस्से की मुहब्बत उसकी आँखों में ही रह गई ।

कमर | Romantic Shayari

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उँगलियाँ कमर को छूने को है वो मिरे ज़द में है , लेकिन मुहब्बत है उनसे और हम अपनी हद में है ।