Ek Deewana Aaya tha

लेकर सपनो की दुनिया,
तेरे दर पर एक मुसाफिर आया था,
कोई कीमत नहीं है सच्ची महोब्बत की इस दुनिया में,
वो तो तेरी एक मुस्कान पे सबकुछ लुटाने आया था,
जानता था की कोई मोल नहीं है टूटे दिल का इस बाज़ार में...
मगर अब डर कहा था उसे कुछ खोने का,
तेरी महोब्बत में जो उसने सबकुछ गंवाया था,
रहूँगा तेरी आँखों में कभी अश्क बनकर तो कभी ख्वाब बनकर,
तेरे घर का रास्ता भी मेरी राह देखता होगा की,
कभी तुझ पर सबकुछ लुटाने इस गली में एक दीवाना आया था 

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