कभी झूठे वादें ही कर दे | Love Poem


चाँद कहीं बादल में छिपा है,
ना जाने क्यों मेरा इश्क मुझसे खफा है,
तू है कहीं दूर मुझसे,
पर तेरा एहसास मेरे साथ सदा है ♥♥

तुझे पुकारूँगा कभी तो क्या तू चली आयेगी,
मेरे इन सुर्ख लबों पे क्या हंसी फिर लौट आएगी,
तुझे मेरी आँखों में बसाया था मैंने सितारों से मांगकर,
क्या तेरी भी आँखें कभी नम होगी मेरा दर्द-ए-दिल जानकर ♥♥

तेरे लिए मैं एक टूटा ख्वाब हूँ, जिसे तूने हर पल भूलाया होगा,
एक आंसू ही था मैं जो आँख से तेरे आँचल में गिरा,
तूने कभी अपनी आँखों में तो, कभी अपने आँचल में मुझे पाया होगा ♥♥

अब इतना ना तड़पा की मर जाऊं मैं,
कभी झूठे वादें ही कर दे,
की तेरे लौट आने की उम्मीद से संभल जाऊं मैं ♥♥

हर पल तेरी यादों में डूबा रहता हूँ,
क्या तुझे भी कभी मेरे एक ख्याल ने सताया होगा,
कोई ऐसी राह ना होगी जहाँ मैंने तेरा इंतज़ार ना किया हो,
क्या तूने भी कभी किसी राह पे मेरा रास्ता देखा होगा ♥♥

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