मेरी आँखें नम है | Love Poems


रात तनहा है और नींद भी कम है,
दिल करता है की तेरे ख्वाब देखूं,
पर ना जाने क्यों दिल को आज तेरा एहसास कम है |
दिल चाहता है की फिर हमारी बात हो,
बारिश से भीगे इस मौसम में फिर हमारी मुलाकात हो,
कुछ पल के लिए गिले शिकवे मिटा दे ज़िन्दगी के,
कुछ हो हमारे बीच तो बस तेरे मेरे ज़ज्बात हो,
नज़रे सिर्फ तुझे ही ढूँढती रहती है,
पर ना जाने क्यों आज ये सारे रास्ते गुम है...
तुझे खुद से दूर कर दूँ,
जो ख्वाब मिलकर सजाये थे,
उन्हें अब चूर-चूर कर दूँ,
दिल को अब तेरे लौट आने की उम्मीद कम है |
ग़म को छिपाकर अब मुस्कुराहना सीख लिया है,
मुझे अब आरजू नहीं इस बेफिक्र महोब्बत की,
मैंने अब तनहा जीना सीख लिया है,
तुझे भूल चुके हैं,
पर ना जाने क्यों आज ये मेरी आँखें नम है |



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