Ye Zindagi | Infinite Love


बंज़र सी मेरे दिल की ज़मी,
तेरी भीगी साँसों को तरसती रही,

इंतज़ार किया मैंने तेरा बारिशों सा,
मगर सिर्फ आँखें ही बरसती रही ♥♥

मंज़िल तो सिर्फ तू ही है,
बस ये राहें बदलती रही,

लाख छुपाया ज़माने से मगर,
ये महोब्वत मेरे लफ़्ज़ों में झलकती रही ♥♥

ख़ामोश थे तेरे लब मगर,
तेरी बेचैन आँखें सबकुछ कहती रही,

मजबूर सा था इश्क में तेरे,
मेरी धड़कने भी ये दर्द सहती रही ♥♥

तनहा नहीं मैं इन राहों में कहीं,
तू हर लम्हा मेरे साथ चलती रही,

मैं तो तेरे इश्क़ में जल ही रहा हूँ,
ये ज़िन्दगी भी तेरे यादों में जलती रही ♥♥


टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

रब्त क्या है परिंदों से पूछो | M S Mahawar