वस्ल | रोमांटिक शायरी


इक उम्र गुज़री है हिज़्र में
अब वस्ल का स्वाद चखना है,
तेरे गाल पे जो तिल है
उसे होंठों से उठाकर
तेरे काँधे पे रखना है ।


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