दश्त में प्यास | pyar ki shayari
इक नज़र आर -
पार कर देखें
रूह को जिस्म
उतार कर देखें
कौन सुनता है
ख़ामुशी की सदा
आँखों से भी पुकार कर
देखें
खेल ये सीधी नज़रों का नहीं दोस्त
क्यूँ न आँख एक मार कर
देखें
प्यार अगर दे मज़ा उदासी
का
क्यूँ न हम
दिल ये हार कर देखें
हिज्र के बाद
एक और ये हिज्र
दश्त में प्यास मार कर देखें
आँसुओं में छुपा हो राज़
कोई
कौन वो दरिया
पार कर देखें
है कोई और
अक्स आइने में
धूल थोड़ी उतार कर देखें
हो अकेला उदास
सच भी कहीं
दुनिया को दरकिनार कर देखें
हर शजर को
गले लगाते चल
अक्स-ए-ख़ुशबू-ए-यार कर देखें
हो कोई हाल
क़ैस जैसा फ़िर
दिल की बात आश्कार कर देखें
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