इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट
तेरी यादें | SANAM TERI KASAM
रब्त क्या है परिंदों से पूछो | M S Mahawar
चश्म-ए-दिल में जब अश्क मेरे मिले जाँ सभी में ही अक्स तेरे मिले बज़्म में दूर से चमक रहे जो दिल में उनके मुझे अँधेरे मिले दर्द का ज़िक्र था जहाँ जहाँ पे उस वरक़ पे निशान मेरे मिले रब्त क्या है परिंदों से पूछो पेड़ सूखे मगर बसेरे मिले छोड़ आया हूँ दिल मिरा घर पर हर तरफ़ ही मुझे लुटेरे मिले दर्द-ए-तन्हाई से मरा है कोई लोग दिन रात उस को घेरे मिले ये ख़ज़ाना मिला मुहब्बत में तेरे ख़त कमरें में बिखेरे मिले चाहकर भी निकल सके न कोई साए ज़ुल्फ़ों के जब घनेरे मिले हो परेशान निकले जब घर से राह तन्हाइयों के डेरे मिले साथ मेरे ये रात रहने दो मिलना हो गर जिसे सवेरे मिले
as nice as ever MS :-)
जवाब देंहटाएंTHank you so much :)
हटाएंKya baat hai..
जवाब देंहटाएंShukriya Roohi :)
हटाएंNice poetry as always but why this picture? Sadak par kyon soya hua hai?
जवाब देंहटाएंTHank you so much..aur vo tanhaai mein bhtakte-bhtakte Sadak pe gir gya hai!! :)
हटाएंI agree with somali maam why SADAK??
जवाब देंहटाएंBut nicely written !!!
Love it
THank you so much Shraddha :)
हटाएंAur tanhaai mtlb jiska koi nahi..aur jiska koi nahi hota..uska yahi haal hota hai...to vo sadak pe soya hua nhi hai..sadak pe gira hua hai..yhi soch ke ye pic lgayi h!!
A nice read :)
जवाब देंहटाएंTHanks Purba :)
हटाएं बहुत सुन्दर !!
जवाब देंहटाएंशुक्रिया दोस्त :)
हटाएंAthi uttham..khoobsoorat verses ..padne ke baad tanhaayi se dar lagne laga hai..
जवाब देंहटाएंbahut bahut shukriya :)
हटाएं