Tum | Hindi Poetry


मैं एक ठहरा लम्हा हूँ,
और तुम धड़कनों सी चलती हो,

मैं एक बूँद को तरसता हूँ,
और तुम नदी सी बहती हो,

मैं लब्ज़ ढूँढता हूँ,
और तुम आँखों से सबकुछ कहती हो,

मैं खुद से भी जुदा हूँ,
और तुम दिल में रहती हो ♥♥


टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

रब्त क्या है परिंदों से पूछो | M S Mahawar