बरसात आगे बढ़े । M S Mahawar | Ghazal


चाहता हूँ कि ये बात आगे बढ़े
पहलू में तुम रहो रात आगे बढ़े

नाम घर और गली कर लिया है पता
प्यार की ये शुरूआत आगे बढ़े

आज वो मुस्कुराई मुझे देखकर
अब मुहब्बत के नग्मात आगे बढ़े

कब तलक चुपके चुपके बता हम मिले
तेरी हाँ हो तो बारात आगे बढ़े

ज़हन में उसकी तस्वीर इक सोच ली
अब ज़रा ये ख़यालात आगे बढ़े

बात और अब बढ़े तो बढ़े जाँ मगर
तेरे जानिब मिरा हात आगे बढ़े

है घटा मुन्तज़िर देखने को तुम्हें
खोल जुल्फ़ें या बरसात आगे बढ़े

इक नज़र देखने से भला होगा क्या
ये हमारी मुलाकात आगे बढ़े

माँगने से मिले गर तिरा हाथ ये
अब ख़ुदा से मुनाज़ात आगे बढ़े

बाम पे चाँद आए नज़र अब हमें
तू दिखे चाँदनी रात आगे बढ़े

मुस्कुराना ज़रा चुन लिया इक जवाब
और भी है सवालात आगे बढ़े

दर्द है याद है बात है रात है
हो कहीं गर ख़राबात आगे बढ़े

हाथ में है कलम और उदासी बहुत
अब बुझे शम्अ ज़ुल्मात आगे बढ़े

दर्द है तो हसीं लम्हा भी आएगा
ये कहानी ये सफ़हात आगे बढ़े

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