घर पे चेहरा ये छोड़ कर आना । M S Mahawar
यादें सारी निचोड़ कर आना
ख़त जो फाड़े वो जोड़ कर आना
तेरा बातें घुमाना अच्छा है
जुल्फ़ें भी सारी मोड़ कर आना
तुम कभी मिलने आओ तो मुझसे
घर पे चेहरा ये छोड़ कर आना
आईने में वो शक्ल झूठी है
आईने सारे तोड़ कर आना
है मरासिम गिने चुने जो भी
सब से तुम मुँह ये मोड़ कर आना
कोई मुश्किल अगर दिखे तुम्हें
बाह उसकी मरोड़ कर आना
जागते रहना मेरे ख़्वाबों में
नींद को तुम झिंझोड़ कर आना
साँसे धीमी कदम ज़रा हो तेज़
जब कभी आओ दौड़ कर आना
छोड़ना बीच रास्ते नहीं ठीक
सबकुछ अब के छोड़ कर आना
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