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तेरी यादें | SANAM TERI KASAM
रब्त क्या है परिंदों से पूछो | M S Mahawar
चश्म-ए-दिल में जब अश्क मेरे मिले जाँ सभी में ही अक्स तेरे मिले बज़्म में दूर से चमक रहे जो दिल में उनके मुझे अँधेरे मिले दर्द का ज़िक्र था जहाँ जहाँ पे उस वरक़ पे निशान मेरे मिले रब्त क्या है परिंदों से पूछो पेड़ सूखे मगर बसेरे मिले छोड़ आया हूँ दिल मिरा घर पर हर तरफ़ ही मुझे लुटेरे मिले दर्द-ए-तन्हाई से मरा है कोई लोग दिन रात उस को घेरे मिले ये ख़ज़ाना मिला मुहब्बत में तेरे ख़त कमरें में बिखेरे मिले चाहकर भी निकल सके न कोई साए ज़ुल्फ़ों के जब घनेरे मिले हो परेशान निकले जब घर से राह तन्हाइयों के डेरे मिले साथ मेरे ये रात रहने दो मिलना हो गर जिसे सवेरे मिले
Lovely
जवाब देंहटाएंLovely it is!
जवाब देंहटाएंTHanks. Glad you like it :)
हटाएंatyant sundar...
जवाब देंहटाएंI have nominated you for twin awards... check here...
https://ashishvision.wordpress.com/2015/07/08/dragons-royalty-premio-dardos-award/
THank you Ashish :)
हटाएंFilled with emotions :)
जवाब देंहटाएंTHanks. Glad you like it :)
हटाएंक्या बात है... बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंशुक्रिया सर जी :)
हटाएंReally sweet...glad to have visited your blog :)
जवाब देंहटाएंTHanks......And thank you for stopping by my blog. Keep visiting :)
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