Pyaar Ki Shama | Love Poems


दर्द तो बहुत मिले हैं महोब्बत में मुझे,
मगर मैं तो तुझे ही चाहता हूँ,
तुझे चाहना ही फितरत है मेरी,
मैं तो बस अपना फ़र्ज़ निभाता हूँ |

सुबह की नयी रौशनी देखकर,
मैं दिल में हर रोज़ एक उम्मीद जगाता हूँ,
मुझे कहीं तू मिल जायें दर्द बांटने को,
मैं तेरी तलाश में बस चलते ही जाता हूँ |

घबरा गया हूँ मैं इस तनहा ज़िन्दगी से,
इन परिंदों से ही अपना दिल बहलाता हूँ,
इस भीड़ में मुझे कोई मिला नहीं दर्द बांटने को,
इन परिंदों को ही अपना हाल--दिल सुनाता हूँ |

अँधेरा बहुत है ज़िन्दगी में मेरे,
मगर फिर भी दर्द भूलकर मुस्कुराहता हूँ,
शायद मुझे मिल जाये कोई जीने की वजह, 
मैं हर रोज़ प्यार की शमां जलाता हूँ |


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