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तेरी यादें | SANAM TERI KASAM
रब्त क्या है परिंदों से पूछो | M S Mahawar
चश्म-ए-दिल में जब अश्क मेरे मिले जाँ सभी में ही अक्स तेरे मिले बज़्म में दूर से चमक रहे जो दिल में उनके मुझे अँधेरे मिले दर्द का ज़िक्र था जहाँ जहाँ पे उस वरक़ पे निशान मेरे मिले रब्त क्या है परिंदों से पूछो पेड़ सूखे मगर बसेरे मिले छोड़ आया हूँ दिल मिरा घर पर हर तरफ़ ही मुझे लुटेरे मिले दर्द-ए-तन्हाई से मरा है कोई लोग दिन रात उस को घेरे मिले ये ख़ज़ाना मिला मुहब्बत में तेरे ख़त कमरें में बिखेरे मिले चाहकर भी निकल सके न कोई साए ज़ुल्फ़ों के जब घनेरे मिले हो परेशान निकले जब घर से राह तन्हाइयों के डेरे मिले साथ मेरे ये रात रहने दो मिलना हो गर जिसे सवेरे मिले
Bahut Khooob!! Every word is mesmerizing!!!
जवाब देंहटाएंThank you so much, Teena :)
हटाएंLoved these nice details.Would be coming back for more………..
जवाब देंहटाएंTHank you. You're always welcome here:)
हटाएंBeautiful lines :)
जवाब देंहटाएंThank you so much, Purba :)
हटाएंLovely!!
जवाब देंहटाएंHappy new year madhusudan.
Thank you so much, Shraddha :)
हटाएंWish you too a very Happy New Year :)
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंनव वर्ष मंगलमय हो!
शुक्रिया और आपको भी नव वर्ष की शुभकामनाएं |
हटाएंबहुत सुंदर अल्फाज.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया सर |
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