दरिया-ए-इश्क़ | Love Quotes
बड़े शौक से चले थे महोब्बत करने ऐ ज़िन्दगी,
ना महोब्बत रही और ना ही अब कोई शौक बाकी रहा |
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तकलीफों में वो दम कहाँ जो मुझे तोड़ देती,
ये तो महोब्बत थी अब बिना तोड़े कैसे छोड़ देती |
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कसूर तेरा नही शायद में ही महोब्बत के काबिल नही था,
मैं ही उस कश्ती में जा बैठा जिसका कोई साहिल नही था |
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कितना आसान था किसी से दिल लगाना,
काश उतना ही आसान होता उस शख़्स को भूल जाना |
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खुद को खो दिया मैंने ज़माने को आजमाने में,
शायद बहुत देर कर दी मैंने वापस घर लौट जाने में |
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ज़िन्दगी भी रूठ गयी मगर अब भी दिल में थोड़ा प्यार बाकी है,
शायद इस दर्द की दुनिया में मेरा अभी कुछ उधार बाकी है |
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पूछा मैंने साहिल से कि दरिया-ए-इश्क़ के पार चलोगे,
कह दिया उसने साफ़ लफ़्ज़ों में कि तैरना आता है या फिर डूब कर मरोगे |
wow... wonderful lines MS :-)
जवाब देंहटाएंTHank you so much, Archana ma'am :)
हटाएंLovely and Soulful Poetry.
जवाब देंहटाएंTHank you so much :)
हटाएंBeautiful...
जवाब देंहटाएंTHanks Amit :)
हटाएंBeautiful poetry
जवाब देंहटाएंTHanks Kishor :)
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