महताब | रोमांटिक शायरी


चेहरे पे भीगी जुल्फें
जैसे बारिश में भीगा महताब,
उसके होंठ
जैसे सर्दियों में ठंडे-ठंडे गुलाब,
उसकी साँसें
जैसे हलक से नीचे उतरती शराब,
उसकी झुकती पलकें
जैसे रूख़ पे हया का हिजाब,
उसकी ख़ामोशी 
जैसे अधूरे इश्क के,
अधूरे पते पे भेजे,
अधूरे लिखे जवाब ♥♥


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