ख़्वाहिशें | हिंदी कविता


मैंने ख्वाहिशों को बाँध रखा है,
बस तू अपनी जुल्फें संभाल ले ♥♥


टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

रब्त क्या है परिंदों से पूछो | M S Mahawar