ज़माने | Hindi Poetry


वो लोग मुझे चिढ़ाने लगे है,
मिरे दिल को तेरा घर बताने लगे है,

उन को समझाएं कोई आसां नहीं मुहब्बत,
दिल को दिल बनाने में ज़माने लगे है ।


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