गुनाह | Sad Shayari


दिल उम्मीद भी करे तो गुनाह क्या है,
उसके सिवा दुनिया में और रखा क्या है,

यूँ तो हर शख्श ने हमे नाशाद किया,
वो भी दिल तोड़ दे तो बुरा क्या है ।


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