It Is A Bird Of The Mind | Sad Poems

 रे मनवा !
तू क्योँ तड़पता है,
थोड़ी धूप है सबका हिस्सा,
थोड़ा गम है सबका किस्सा,
किस्मत उससे तंग है,
प्यार के ये कैसे रंग है,
दुनिया का ये कैसा ढंग है,
ये मन का पंछी है,
उड़ता है सांसो के साथ,
जिन्दा हर एक अरमान से,
जानता है कल क्या होगा !
ये ख्वाबोँ का पंछी हैजो एक दिन टूट कर गिर जायेगा..
हकीकत के आसमान से,
गिर कर जो उठते हैँ,
वही इंसान हुआ करते हैँ,
पर जो उपर उठकर भी गिरे हुएँ है,
वो बेजान हुआ करते हैँ,
तू क्योँ रोता है,
चाँद भी कभी बादलोँ के पीछे,
अपनी रोशनी खोता हैँ,
बादलोँ को हटने दे,
तूफानोँ को थमने दे,
गमोँ की बारिशेँ ही तो है,
एक दिन रूक जायेगी,
ये खुला आसमान फिर से दिखेगा,
ये मन का पंछी है,
एक दिन फिर से उड़ेगा |


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