जब तेरा सजदा किया | Love Poems



जब तेरा सजदा किया तो यूँ लगा
जैसे तेरी आँखोँ ने मुझे,  
मेरी मंजिल कि ओर मोड़ दिया है,
जैसे तेरी मुस्कान तेरे अंदाज और तेरी बातोँ ने,
इस टूटे  हुए दिल को फिर से जोड़ दिया है..

जैसे तेरे प्यार की बारिश ने,
इस पत्थर दिल को मोँम किया हैँ,
ये सच कहीँ टूट ना जांए सपना बनकर,
तेरी चाहत कि ख्वाहिश मेँ,  
मैँने रातोँ मे सोना छोड़ दिया है..

जिस पतवार के सहारे चाहते थे
गम का सागर पार करना,
उस पतवार ने ही माँझी का हौँसला तोड़ दिया है,
वह आज भी तूफान मे खड़ा है,  
उसे ना कोई छोर दिया है..

तेरे उस बेकद्र इंकार ने,
मेरी  रूह तक को झकझोर दिया है,
उन कसमोँ बातोँ और वादोँ का क्या,
जिन्हेँ तुने इतनी बेदर्दी से तोड़ दिया है,
काँटोँ से तो लोँग हो जाते  है घायल अक्सर,
पर आज किसी खुबसूरत फूल ने घायल कर दिया है..

मैँ किसी रास्तेँ का कोई पत्थर तो  था,
जो तेरी बेरहम ठोकर ने उसे तोड़ दिया है,
तेरी रुसवाई से खफा होकर मेरा आलम ये है,
कि अब मेरे दिल ने धड़कना छोड़ दिया हैँ..

तू शायद वापस कभी नहीँ आयेगी,
इस गम--दिल को दूर करने,
इस एहसास मेँ,
मैँने जिन्दा होकर भी,जीना छोड़ दिया है !


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